जीवित कोशिकाओं को ऑक्सीजन पोषण अन्य आवश्यक पदार्थ उपलब्ध होने चाहिए |उतकों को सुचारू कार्य हेतू अपशिष्ट या हानिकारक पदार्थ जैसे कार्बन डाइऑक्साइड CO2का लगातार निष्कासन आवश्यक है, अतः इन पदार्थों के कोशिका तक से चलन हेतु एक प्रभावी क्रियाविधि का होना आवश्यक था  |

विभिन्न प्राणियों में इस अभिगमन के विभिन्न तरीके विकसित किए विकसित हुए हैं |

सरल प्राणी जैसे स्पंज व सिलेंट्रेटा बाहर से अपने शरीर में पानी का संचरण शारीरिक गुहाओं में करते हैं ,जिससे कोशिका के द्वारा इन पदार्थों का आदान-प्रदान सरलता से हो सके |

जटिल प्राणी इन पदार्थों का परिवहन के लिए विशेष तरल का उपयोग करते हैं  | मनुष्य सहित उच्च प्राणियों में इस उद्देश्य में काम आने वाला सर्वाधिक सामान्य तरल है |

एक अन्य शरीर द्रव लसीका भी कुछ विशिष्ट तत्वों के परिवहन में सहायता करता है |

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आज हम रुधिर और लसीका के संगठन और उनके गुणों के बारे में अध्ययन करेंगे |

रुधिर (Blood)

रुधिर( रक्त  )एक विशेष प्रकार का उत्तक है ,जिसमें द्रव आधात्री  (मैट्रिक्स ),प्लाज्मा तथा अन्य संगठन संरचना पाई जाती है |

2.प्लाज्मा (प्लेज्मा ) :- प्रद्रव्य एक हल्के पीले रंग का गाढा तरल पदार्थ है ,जो रक्त के आयतन का लगभग 55% है |प्रद्रव्य में 90 से 92% जल तथा 6 से 8% प्रोटीन पदार्थ  होते है |फाइब्रिनोजन, ग्लोबुलीन तथा एल्बुमिन प्लाज्मा में उपस्थित मुख्य प्रोटीन होती है  |


1.फाइब्रिनोजन प्रोटीन  :-फाइब्रिनोजन प्रोटीन की आवश्यकता -रक्त थक्का बनाने  या   स्कंदन में होता ह|
2.ग्लोबुलीन प्रोटीन :-ग्लोबुलीन प्रोटीन का उपयोग शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र तथा एल्ब्यूमिन का उपयोग परासण संतुलन में किया जाता है |
प्लाज्मा  में अनेक खनिज आयन जैसे Na+ ,Ca2+ ,Mg2+ HCO3Cl-     इत्यादि भी पाए जाते हैं |
    शरीर में संक्रमण की अवस्था में होने के कारण ग्लूकोज ,अमीनो अम्ल तथा लिपिड भी प्लाज्मा में पाए जाते हैं |

हैं  |
रुधिर का थक्का बनाने या स्कंदन के अनेक कारक प्रद्रव्य में निष्क्रिय दशा में रहते हैं, बिना थक्का या स्कंदन कारकों के प्लाज्मा को सीरम कहते हैं |

                       

रुधिर कणिकाओ के प्रकार T
ypes of blood cells

𝧵 रुधिर कणिकाओ के तीन प्रकार होते है 𝧵  

रुधिर में संगठित पदार्थ :-लाल रुधिर कणिका (इरिथ्रोसाईट ),श्वेत रुधिर कणिका (ल्यूकोसाइट ) तथा प्लेटलेट को सयुंक्त रूप से  से संगठित पदार्थ कहते हैं ,यह रक्त के लगभग 45% भाग बनाता है |


1.-इरिथ्रोसाइट / लाल रुधिर कणिका अन्य सभी कोशिका में संख्या में अधिक होती है |
-एक स्वस्थ मनुष्य में यह कणिका लगभग 50 से 50 लाख प्रति घन मिनी (रक्त में  5 - 5.5मिलियन प्रति  घनमीटर )होती है  |
RBC का पुरा नाम-Red Blood cell

- वयस्क अवस्था  में  लाल रक्त कणिका   लाल अस्थि मजा में बनती है ,अधिकतर स्तनधारियों  की लाल रुधिर कणिका में केंद्रक नहीं मिलते हैं तथा इनकी आकृति उभावतल (बाइकोनकेव)होती है |
-इनका लाल रंग  लौहयुक्त जटिल प्रोटीन हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण होती है |
 - एक स्वस्थ मनुष्य में प्रति 100 मिली. रक्त में लगभग 12 से 16 ग्राम हीमोग्लोबिन प्रोटीन पाया जाता है ||
-इन पदार्थों  की स्वसन गैसों के परिवहन मेंमहत्वपूर्ण भूमिका है | 
-लाल रक्त कणिकाओं की औसत आयु 120 दिन होती है |तत्पश्चात इनका विनाश प्लीहा (लाल रक्त कणिकाओं की कब्रिस्तान )में होता है |

               

2.श्वेत रुधिर कणिका (ल्यूकोसाइट ) :-ल्यूकोसाइट  (श्वेताणु ) को हीमोग्लोबिन के अभाव के कारण तथा रंगहीन होने से श्वेत रुधिर कणिका भी कहते हैं |
-इसमें केंद्रक पाए जाते हैं तथा इनकी संख्या लाल रक्त कणिकाओं की अपेक्षा कम होती है |
-6000 से 8000 प्रति घन मिमी. रक्त होती है |
समान्यत ये कम समय तक जीवित रहती है |
WBC का पुरा नाम -White Blood Cell
इनको दो श्रेणियों में बांटा गया है :-
1.कणिकाणु ( ग्रेन्यूलोसाइट )  2. अकणिकाणु ( एग्रेन्यूलोसाइट )

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न्यूट्रोफिल ,इओसिनोफिल व बेसोफिल कणिकाणु के प्रकार है, जबकि
 लिंफोसाइट व मोनोसाइट कणिकाणु के प्रकार है |

श्वेत रुधिर कोशिकाओं में न्यूट्रोफिल संख्या में सबसे अधिक लगभग( 60- 65% ) तथा बेसोफिल संख्या में सबसे कम लगभग   ( 0.5 -1 %  ) होते है |


 न्यूट्रोफिल व मोनोसाइट (6-8 % ) भक्षक कोशिका होती है ,जो अंदर प्रवेश करने वाले बाह्य जीवों को समाप्त करती है  |
बेसोफिल, हिस्टामिन, सिरोटोनिन ,हिपेरिन आदि का स्राव करती है तथा शोथकारी क्रिया में सम्मिलित होती है |

 इओसिनोफिल (2-3% ) संक्रमण से बचाव करती है तथा एलर्जी प्रतिक्रिया में सम्मिलित रहती है |

लिंफोसाइट  (20 से25% )मुख्यतः दो प्रकार की होती है -बी तथा टी
 बी और टी दोनों प्रकार की लिंफोसाइट शरीर की प्रतिरक्षा के  लिए उतरदायी होती है |

3. पट्टीकाणु ( प्लेटलेट )को थ्रोम्बोसाइट भी कहते है ,ये मैगोकेरियो साइट (अस्थि मज्जा की विशेष कोशिका )
के टुकड़ो में विखंडन से बनती है |
रक्त में इनकी संख्या 1.5 से 3.5 लाख प्रति घन मिमी. होती है |
प्लेटलेट कई प्रकार के पदार्थ स्रावित करती है, जिनमें अधिकांश रुधिर का थक्का जमाने (स्कंदन )  में सहायक होती है |
प्लेटलेट की संख्या में कमी के कारण स्कंदन (जमाव में ) विकृति हो जाती है तथा शरीर में अधिक रक्तस्राव हो जाता है |


Q.1रुधिर कणिकाएं कितने प्रकार की होती हैं ?
उतर-तीन प्रकार की ( RBC ,WBC,platelet )

Q.2 श्वेत रक्त कणिकाएं  कितनी  प्रकार की होती है ?
उतर-पांच प्रकार की (न्यूट्रोफिल ,इओसिनोफिल , बेसोफिल,लिंफोसाइट व मोनोसाइट )

Q.3 लाल रक्त कणिका(आरबीसी ) का जीवन काल कितने दिन का होता है ?
उतर- 120 दिन

Q.4 लाल रक्त कणिकाओ का कब्रिस्थान किसे कहा जाता है ?
उतर-प्लीहा (Spleen )-तीली

Q.5 एक स्वस्थ मनुष्य में प्रति 100 मिली. रक्त में लगभग कितने ग्राम हीमोग्लोबिन पाया जाता है ?
उतर-12-16 ग्राम