मानव में प्रोटोजोआ द्वारा होने वाला रोग Manav mein Protozao Dwara HoneWala Rog
सभी प्रोटोजोआ परपोषी होते हैं, जो परभक्षी अथवा परजीवी के रूप में रहते हैं | यह प्राणियों के पुरातन संबंधी है |
प्रोटोजोआ की खोज लगभग ३०० वर्ष पहले सुप्रसिद्ध डच वैज्ञानिक ऐंथोनी लुवेंनहाक ने खोज की।
प्रोटोजोआ को प्रमुख चार समूहों में बांटा जा सकता है |
1.अमीबीय Amoebic protozoa :-यह जीवधारी स्वच्छ जल, समुंद्री जल ,नम मृदा में पाए जाते हैं |यह अपने कुटपादों की सहायता से अपने शिकार को पकड़ते हैं |इनमें समुद्री प्रकारो की सतह पर सिलिका के कवच होते हैं |
कुछ अमिबीय प्रोटोजोआ जैसे-एंटअमीबा परजीवी होते है |2.कशाभी flagellated protozoa :- इस समूह के सदस्य स्वच्छंद अथवा परजीवी होते हैं ,इनके शरीर पर कशाभ पाया जाता है | परजीवी कशाभी प्रोटोजोआ बीमारी के कारण होता है ,जिनसे निद्रालू व्याधि नामक बीमारी होती है|
उदाहरण-ट्रिपैनोसोमा (Trypanosoma)
3. पक्ष्माभ Ciliated protozoa :-यह जलीय तथा अत्यंत सक्रिय गति करने वाले जीवधारी है ,क्योंकि इनके शरीर पर हजारों की संख्या में पक्ष्माभ पाए जाते हैं | इनमें एक गुहा होती है ,जो शरीर की सतह के बाहर की तरफ खुलती है| पक्ष्माभ की लयबद्ध गति के कारण जल से पूरित भोजन गलेट की तरफ भेज दिया जाता है |उदाहरण -पैरामीशियम (paramecium)
4.स्पोरोजोआ Sporozoa :इस समूह में विविध जीवधारी आते हैं, जिनके जीवन चक्र में संक्रमण करने योग्य बीजाणु जैसी अवस्था पाई जाती है |इनमें सबसे कुख्यात प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी )प्रजाति है ,जिसके कारण मनुष्य की जनसंख्या पर आघात पहुंचाने वाला प्रभाव पड़ा है |
प्रोटोजोआ द्वारा होने वाले रोग की tricks : |
पापा |
पायरिया |
काम |
कालाजार |
पे |
पेचिस |
सोते है |
सोने की बीमारी |
|
1.रोग -मलेरिया
प्रभावित अंग - आरबीसी एवं तिल्ली
परजीवी - प्लाज्मोडियम
वाहक मच्छर - मादा एनाफ्लीज़
लक्षण - - ठंड के साथ बुखार
2.पायरिया -- एंटअमीबा जिंजिवेलिस
प्रभावित अंग - मसूढा
लक्षण - मसूड़ों से रक्त का निकलना
3.सोने की बीमारी -- ट्रीपेनोसोमा
प्रभावित अंग - मस्तिष्क
वाहक-सि-सी मक्खी(TSE-TSE)
लक्षण - -बहुत नींद के साथ बुखार
4.पेचिश --एंटअमीबा हिस्टॉलिटिका प्रभावित अंग -आंत
लक्षण -स्लेष्मा एवं साथ दस्त
5. कालाजार - लिश्ममैनिया डॉनावनी प्रभावित अंग - अस्थि- मज्जा वाहक -बालू मक्खी
लक्षण - तेज बुखार
Social Plugin