ब्रायोफाइटा पद का गठन : Formation of the rank Bryophyta

 ब्रायोफाइटा पद का गठन ब्राउन ने 1864 में किया | ये शब्द ग्रीक (यूनानी ) भाषा के दो शब्दों ब्रायोंन (Bryon ) का अर्थ  माॅस (Moss ) तथा फाइटोन (Phyton ) काअर्थ- पादप से मिलकर बना है | इस प्रकार  ब्रायोफाइटा का अर्थ ' माॅस जैसे पादप 'इस जगत में माॅस तथा लीवरवर्ट आते है,जो पहाड़ियों के नम तथा छायादार क्षेत्रों में पाये जाते है |

ब्रायोफाइटा की विश्व में  960 वंश तथा 24000 जातियों पायी जाती है | भारत में इनकी 2850 तथा राजस्थान में89 जातियों मिलती है |

ब्रायोफाइटा को पादप जगत का उभयचर (जलस्थलचर ) (Amphibian of plant kingdom ) कहा जाता है, क्योंकिये भूमि पर जीवित रह सकते है,किन्तु लैंगिक जनन केलिए जल की आवश्यकता होती है | जैव विकास की कड़ी में इन पादपों ने सर्वप्रथम भूमि पर आपना जीवनचक्र पूर्ण करने में सफलता प्राप्त की ,ये अनुक्रमण (sequencing) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है |

ब्रायोफाइटा के अध्ययन को ब्रायोलोजी (Bryology ) कहते है |

ब्रायोफाइटा के जनक  : Parent of Bryophyta

शिवराम कश्यप (S.R. Kasyap-1919-1933 ) को भारतीय ब्रायोफाइटा के जनक (father of indian Bryology ) कहा जाता है |प्रो. शिवराम कश्यप भारत के अग्रणी वनस्पतिज्ञ थे |ब्रायोफाइटा पर उनका सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रकाशन Liverworts of Western Himalayas and Punjab plain part I ,II (1929,1932 ) है |

प्रो. शिवराम कश्यप


ब्रायोफाइटा की संरचना : Structure of Bryophyta
इनकी पादपका्य शैवाल की अपेक्षा अधिक विभेदित होती है | यह थैलस की तरह होता है ,जो श्यान अथवा सीधा होता है और एककोशिक तथा बहुकोशिक मुलाभ द्वारा सब्सट्रेटम से जुड़ा होता है| इनमें वास्तविक मूल ,तना अथवा पतियों नहीं होती है केवल इनकी मुलसम,तनासम तथा पत्तीसम संरचना होती है |
1.इनकी मुख्यका्य अगुणित होती है | ये युग्मक उत्पन करते है,इसलिए इन्हे युग्मकोभिद (gametophyte )कहते है |

2. ब्रायोफाइटा में लैंगिक अंग बहुकोशिक होते है |
3.नर लैंगिक अंग को पुंधानी कहते है, ये द्विकशाभिका पुमंग उत्पन करते हैं | मादा जनन अंग को स्त्रीधानी कहते है ,यह फ़लास्क के आकार का होता है,जिसमें एक अंड होता है |
4.पुमंग को पानी में छोड़ दिया जाता है,ये स्त्रीधानी के संपर्क में आकर अंडे से संगलित हो जाते है.जिसके कारण युग्मनज (Zygote ) बनता है |
4.युग्मनज में तुरंत न्युनकारी विभाजन नहीं होता हैऔर इससे एक बहुकोशिक बीजाणु-उदभिद (Sporophyte)बन जाता है |
5.स्पोरोफाइट मुक्तजीवीं नहीं है,बल्कि यह प्रकाश -संश्लेषी  युग्मकोभिद से जुड़ा रहता है,और इससे अपना पोषण प्राप्त करता रहता है
6.स्पोरोफाइट की कुछ कोशिकाओं में न्युनकारी विभाजन होता है,जिससे अगुणित बीजाणु अंकुरित हो कर युग्मकोभिद में विकसित हो जाते है |


ब्रायोफाइटा के सामान्य लक्षण | General Characteristics of Bryophyta 

1.आवास ( Habitat) :-इस जगत के पादप आर्द्र छायादार स्थानों जैसे चट्टानों वृक्षों के स्तंभों, पुरानी दीवारों तथा दलदली आवासों में उगते है |
कुछ जातियों जैसे रीक्सिया  फ्लुटेंस,रीक्सिया आबुएंसिस.स्फैग्नम जलीय आवास में, फ्रुलेनिया अधिपाद्प (Epiphytes ) के रूप में तथा टेरुला डेजरटेस मरु आवास में मिलती है |

2.पोषण Nutrition :-ब्रायोफाइटा हरे ,पर्णहरित युक्त तथा स्वपोषी होते है ,अपवाद क्रिप्टोथैलस मिराबिलस मृतजीवी होते है |

3.स्वभाव Nature :- पादप शरीर थैलस होता है ,जो सत्य मूलों,स्तंभ तथा पर्णों में विभेदित नहीं होता है |
ब्रायोफाइटा का पादप युग्मकोभिद (gametophyte ) पीढ़ी (Gametophytic generation ) को निरुपित करता है |

4.इनमें जड़े अनुपस्थित होती है,इनकी स्थान पर थैलस कीअभ्यक्ष (Ventral) सतह पर अथवा मोसेज़ के स्तंभ के आधार  सिरे पर मुलाभास (Rhizoids ) पाये जाते है,जो एककोशिक या बहुकोशिक होते है |
5.विकसित ब्रायोफाइटा जैसे मोसेज़ का शरीर पर्णिल होता है |
6.ब्रायोफाइटा में संवहन उतकों जैसे जाइलम तथा फ्लोएम का पूर्णत:अभाव होता है |

7.इनमे कायिक व लैंगिक जनन होते है | अलैंगिक जनन का अभाव होता है |
8.कायिक जनन कंदों,गेमी,अपस्थानिक शाखाओं,नवाचारों (Innovations ) आदि विधियों द्वारा होता है |
9.लैंगिक जनन सदैव विषमयुग्मकी (Oogamous ) प्रकार का होता है |नर जननांग को पुंधानी (Antheridium ) एवं मादा जननांग को स्त्रीधानी (Archegonium ) कहते है |ये दोनों जननांग बहुकोशिक होते है, जो बंध्य आवरण (Jacket ) से ढके होते है |
10.निषेचन के लिए जल की उपस्थित अनिवार्य होती है | पुमणु (Antherozoids )स्त्रीधानी की ओर रसायन अनुचलन (chemotactic movements ) गति करते है |
11..निषेचन के उपरांत निर्मित युग्मनज (Zygote,2n ) समसूत्री विभाजन से बीजाणु-दभिद पीढ़ी का परिवर्धन होता है |
12.बीजाणु-दभिद पीढ़ी (Sporophytic generation ),युग्मकोभिद (gametophyte ) पादप पर आश्रित रहता है ,इनका स्वतंत्र अस्तित्व संभव नहीं होता है |
13.बीजाणु-दभिद के सम्पुटिका (Capsule) भाग में अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अचल अगुणित बीजाणु बनता है,जो अंकुरित होकर युग्मकोभिद पीढ़ी बनाते है | सभी बीजाणु एक प्रकार के होते है ,अत:ब्रायोफाइटा समबीजाणुक (Homosporous ) होते है |

ब्रायोफाइटा का वर्गीकरण Classification of Bryophyta

ब्रायोफाइटा के वर्गीकरण में प्रमुख प्रारंभिक योगदाता वैज्ञानिक आईकलर (1883 ) ,कैवर्स (1911 ),बोवर (1935) तथा ईवान्स (1938 ) का है | इन पादपों का आधुनिक वर्गीकरण रोथ मेलर (1951 ) तथा प्रोस्क्योर (1957 ) द्वारा दिया गया है|
 
ब्रायोफाइटा के तीन प्रमुख वर्गों का वर्गीकरण निम्न प्रकार है-
1.हिप्टोकोप्सिडा (Hepaticopsida)
2.एन्थोसिरोटोप्सिडा  (anthoceroptsida )
3.ब्रायोप्सिडा (Bryopsida )

1.वर्ग-हिप्टोकोप्सिडा (Hepaticopsida)

1.इस वर्ग का पादप शरीर थैलस होता है,इन्हें लिवरवर्ट कहते है |
2.मुलाभास एककोशिक व अशाखित होते है |
3.लैंगिक अंगो का परिवर्धन प्राय: थैलस की 
पृष्ठ सतह पर  सतही कोशिकाओं से होता है |
4.बीजाणु-दभिद सरल केवल कैप्सूल जैसे रीक्सिया अथवा अधिकतर में पाद (Foot ),सम्पुटिकावृंत (Seta) तथा सम्पुटिका (Capsule ) में विभेदित होता है |
5.कुछ सदस्यों में बीजाणुओं के साथ इलेटर्स (Elaters ) भी बनते है |
उदाहरण-रीक्सिया,मार्केसिया,प्लैजियोकाज्मा


2.वर्ग-एन्थोसिरोटोप्सिडा  (anthoceroptsida )

1.इस वर्ग का पादप शरीर चपटा थैलस ,जिसमे आंतरिक रूप से विभेदन नहीं होता है |
2.मूलाभास एककोशिक,चिकने व अशाखित होते है |
3.थैलस की प्रत्येक कोशिक में केवल एक बड़ा हरितलवक तथा एक पाइरीनॉइड (pyrenoid ) पाये जाते है,ये शैवालीय लक्षण है |
4.पुंधानियां अंतर्जात रूप से (Endogenously ) या थैलस के पृष्ठ सतह पर धंसी हुई विकसित होती है |
5.बीजाणु-दभिद रेखाकार होता है |
उदाहरण-एन्थोसिरोस,नोटोंथाइलस

3.वर्ग-ब्रायोप्सिडा (Bryopsida )
1.इस वर्ग का पादप शरीर प्राय :पर्णिल (पत्ती के समान )होते है |
2.मुलाभास बहुकोशिक,तिरछेपटों युक्त व शाखित होते है |
3.पर्णों  अक्ष पर सर्पिलाकार विन्यासित होती है |
4.लैंगिक अंग अक्ष व शाखाओं के सिरों पर बनते है |
5.कैप्सूल में स्तम्भिका उपस्थित होती है |
6. कैप्सूल के परिमुख पर परिमुखदन्त उपस्थित होते है |
उदाहरण-फ्युनेरिया,पोलीट्राइकम,स्फैग्नम



ब्रायोफाइटा का आर्थिक महत्व | Economic Importance of  Bryophyta

ब्रायोफाइटा के प्रत्यक्ष आर्थिक महत्व यद्यपि काफी कम ,है लेकिन जैविक व परिस्थितिकीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है | यह स्तलीय पादपों के पूरोगामी (Pioneer ) है |
 इसके अतिरिक्त मृदा निर्माण, मृदा संरक्षण एवं मृदा अनुक्रमण में अत्यंत उपयोगी होते हैं | इनकी अद्भुत जल धारण क्षमता भी इनको  आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाती है |

ब्रायोफाइटा के आर्थिक महत्व निम्नलिखित है -
1.पीट कोयला के रूप में (as peat coal)
2.स्फेग्नोल बनाने  में (making sphagnol)
3.पैकिंग पदार्थ के रूप में (as packing material)
4.जंतु आहार के रूप में (as animal feed)
5.पादप सूचकों के रूप में (as plant indicators)
6.परिस्थितिकीय महत्व में (in ecological importance)

1.पीट कोयला के रूप में (as peat coal) :-
ब्रायोफाइटा में आर्थिक रूप से स्फेग्नम सर्वाधिक उपयोगी है |यह एक जलीय पादप है |इसके नीचे का मृत भाग प्रतिवर्ष जलाशय के पैंदे में  एकत्रित होता जाता है ,जो कालांतर में दबकर पीट कोयले के रूप में बदल जाता है | इसको इंधन के रूप में काम में लिया जाता है |
 2.स्फेग्नोल बनाने  में (making sphagnol) :- पीट कोयला के आसवन से स्फेग्नोल  बनाया जाता है, जो चर्म रोगों के उपचार में उपयोगी होता है |

3.पैकिंग पदार्थ के रूप में (as packing material) :-जल अवशोषण व जल धारण की अत्यधिक क्षमता (शुष्क भार का 24.5 गुना तक )के कारण स्फैग्नम व कई माॅस पादपों का,कांच के सामान व जीवित पौधों को अन्य जगह भेजने के लिए.पैकिंग सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है |

4.स्फैग्नम में जीवाणुरोधी (Antiseptic) गुण होता है,अत: इसका उपयोग घावों की मरहम पट्टी करने में  किया जाता है |

5.जंतु आहार के रूप में (as animal feed) :- अनेक कीट व पक्षी माॅस के कैप्सूल को खाते है |
अलास्का हिरण स्फैग्नम  व डाइक्रेनम माॅस खाते है |

6.पादप सूचकों के रूप में (as plant indicators) :- कुछ ब्रायोफाइटा में सदस्य प्रकृति से संबंधित कई अग्रिम सूचनाएं उपलब्ध करवाते हैं |
 कुछ उदाहरण है-
मार्केसिया पोलिमार्फा :- ये पादप आग लगने तथा बाढ़ आने का पूर्व संकेत है |
फ्युनेरिया हाइग्रोमेट्रिका व मार्सिया-ये पादप तांबे की  उपस्थिति बताते है |
ब्रायम अर्जेंटीयम-ये पादप क्षारीय स्थान दर्शाते है |

7.परिस्थितिकीय महत्व में (in ecological importance) :-ब्रायोफायटा सदस्य पादप अनुक्रमण मृदा अपरदन तथा सूचक पादपों के रूप में महत्वपूर्ण है

Please also Ask :
1. ब्रायोफाइटा पद का गठन किसने किया ?
ब्रायोफाइटा पद का गठन ब्राउन ने 1864 में किया |

2.ब्रायोफाइटा शब्द कितने शब्दों से मिलकर बना है ?
ब्रायोफाइटा शब्द   ग्रीक (यूनानी ) भाषा के दो शब्दों ब्रायोंन (Bryon ) का अर्थ  माॅस (Moss ) तथा फाइटोन (Phyton ) का अर्थ- पादप से मिलकर बना है  |

3.ब्रायोफाइटा के अध्ययन को क्या कहते है ?
ब्रायोफाइटा के अध्ययन को ब्रायोलोजी (Bryology ) कहते है |

4.भारतीय  ब्रायोफाइटा के जनक (father of indian Bryology )  किसे कहा जाता है ?
शिवराम कश्यप (S.R. Kasyap-1919-1933 ) को भारतीय ब्रायोफाइटा के जनक (father of indian Bryology ) कहा जाता है 

5. पादप जगत का उभयचर (जलस्थलचर ) (Amphibian of plant kingdom ) किसे कहा जाता है ?
ब्रायोफाइटा को पादप जगत का उभयचर (जलस्थलचर ) (Amphibian of plant kingdom ) कहा जाता है |

6.ब्रायोफाइटा को पादप जगत का उभयचर क्यों कहा जाता है ?
ब्रायोफाइटा को पादप जगत का उभयचर इसलिए कहा जाता है,क्योंकि
भूमि पर जीवित रह सकते है,किन्तु लैंगिक जनन केलिए जल की आवश्यकता होती है | 
7.ब्रायोफाइटा का पादप शरीर कैसा होता है ?
ब्रायोफाइटा का पादप शरीर थैलस होता है,जो सत्य मूलों,स्तम्भ (तना ),पर्णों में विभेदित नहीं होता है |
8.ब्रायोफाइटा को किस पादप के नाम से जाना जाता है ?
ब्रायोफाइटा को सियोफाइट (छायाप्रिय )पादप के नाम से जाना है ,जो नम,आर्द्र,छायादार स्थानों,पुरानी दीवारों तथा दलदली आवासों में सामान्य स्थानों पर पाया जाता है |
9.ब्रायोफाइटा में लैंगिक जनन कैसा होता है ?
ब्रायोफाइटा में लैंगिक जनन विषमयुग्मकी (Oogamous ) प्रकार का होता है |
10.ब्रायोफाइटा में किस प्रकार के बीजाणु   उत्पन होते है ?
ब्रायोफाइटा में सभी बीजाणु एक ही प्रकार के होते है ,अत:ब्रायोफाइटा समबीजाणुक (Homosporous ) होते है ?
11.किस वर्ग के पादपों ने सर्वप्रथम भूमि पर अपना जीवनचक्र पूरा करने की सफलता प्राप्त की ?
ब्रायोफाइटा ने सर्वप्रथम भूमि पर अपना जीवनचक्र पूरा करने की सफलता प्राप्त की |