समय-समय पर उत्कृष्ट कार्य ,बलिदान ,उत्सर्ग या परोपकार करने वाले महापुरुषों को लोक देवता या पीर का जाता है |

✯राजस्थान के 5 लोक देवता कौन कौन से हैं :

 पाबूजी ,हड़बूजी, रामदेवजी, मांगलियामेंहाजी गोगाजी

पांचो पीर पधारजो गोगाजी जेहा |

राजस्थान के लोक देवता पाबूजी का जन्म कब हुआ था ?


पाबुजी महाराज का जीवन परिचय Life introduction of Pabuji Maharaj

 
पाबूजी का जन्म 1239  ई .सन विक्रम संवत (1296 )  में कोलू / कोलू मंड (जोधपुर )में राठौड़ राजवंश में हुआ इनके  पिता का नाम धांधलजी राठौड़ ,माता का नाम -कमला दे ,पत्नी का नाम फुलम दे (अमरकोट के सोढा राजा सूरजमल की पुत्री ) था |


पाबुजी को माने जाने वाले लोक देवता :



पाबूजी को ऊंटों के देवता, गौ रक्षक देवता ,प्लेग रक्षक देवता ,हाङ- फाड़ देवता ,लक्ष्मण जी का अवतार मेहर जाति के मुसलमान पीर आदि के नाम से जाना जाता है |


पाबूजी के घोड़ी का नाम :Pabuji's mare's name



पाबूजी के घोड़ी का नाम केसर कालवी थी |
रेबारी /राईका  (उंटो का पशुपालक जाति) के आराध्य देव पाबूजी है , इस कारण बीमार होने पर भोपे पाबूजी की फड़ सबसे लोकप्रिय बाँचते  हैं  |
राजस्थान के लोक देवता पाबुजी महाराज, Rajasthan ke Pramukh Lok devta Papu ji Maharaj

राजस्थान में सबसे लोकप्रिय फड़ 

 

:Most popular Phad in Rajasthan




राजस्थान के लोक देवता पाबूजी की फड़ सबसे  लोकप्रिय फड़है,जिसे बांचते समय रावणहत्था वाधयंत्र का प्रयोग किया है ,पाबुजी के पवाङे गाते समय  माठ वाधयंत्र का प्रयोग किया जाता है | आशिया मोड जी द्वारा लिखित पुस्तक पाबू प्रकाश में पाबुजी के जीवन परिचय का उल्लेख हुआ है |


पाबूजी के गुरु :- Pabuji's Guru

 पाबूजी के गुरु समरथ भारती जी द्वारा उन्हें शस्त्रों

की दीक्षा दी जाती है ,

जो आशिया मोड जी द्वारा लिखित पुस्तक पाबू प्रकाश में पाबुजी के जीवन परिचय का उल्लेख हुआ है |


विशेष बिंदु :-


पाबूजी की फड़ को बाँचते  समय रावण हत्था वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है ,तो पाबूजी के पवाङे गाते समय माठ वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है |




बहनोई-पाबुजी के बीच लड़ाईयां Fights between brother-in-law and father-in-law


पाबूजी की घोड़ी देवल चारणी द्वारा दी गई थी ,देवल चारणी ने घोड़ी के बदले उसने यह वचन दिया था कि वह उनकी गायों की रक्षा करेंगे, लेकिन इस पर पाबूजी ने कहा कि उन्हें कैसे पता पड़ेगा ,कि तुम्हारी गायों पर संकट आया है इस पर देवल चारणी ने कहा- जब भी मेरी घोड़ी हिनहिनाए  तो समझ लेना कि मेरी गाय संकट पर आया और आप रक्षा के लिए चले आना  | पाबूजी के बहनोई जिंद राव खींची ने इस घोड़ी को देवल चारणी से मांग चुके थे, लेकिन देवल चारणी ने यह घोड़ी जिंद राव खिची को न देकर पाबूजी को दी थी इस कारण वह इस बात से क्रोधित थे ,और देवल चारणी ने बदले के अवसर की ताक में थे  ,इस कारण जब पाबूजी विवाह के लिए फेरे में बैठे ,तभी देवल चारणी की घोड़ी  भी जोर से केसर कालवी जोर हिनहिनाए |जिसे बाबू जी समझ गए कि चारणी की गायों पर संकट आया विवाह के साढ़े तीन फेरे लेने के बाद गायों को बचाने पहुंचे | बहनोई ( जायल नागौर )के शासक जिंद राव खिची से युद्ध लड़ते हुए 1276 में देचू गांव (जोधपुर ) में 24 वर्ष की आयु में वीरगति को प्राप्त हुए, इसीलिए पाबूजी के अनुयायी, आज भी विवाह के अवसर पर साढ़े तीन फेरे   पर ही लेते हैं  |


पाबूजी के जीवन से सम्बधित विशेष बिंदु :

 

मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबूजी को कहा जाता है |

 पाबूजी का प्रतीक- चिन्ह भाला लिए अश्वरोही है  |

पाबूजी के सहयोगी चांदा डैमा व  हरमल  है |

पाबू जी के उपासक के द्वारा पाबूजी की स्मृति में थाली नृत्य किया जाता है |

 पाबूजीकी घोड़ी बाई ओर झुकी हुई पाग (पगड़ी )प्रसिद्ध है |


पाबूजी का मेला

पाबूजी का मंदिर कोलू मंड (फलौदी, जोधपुर  )में चैत्र आमवस्या को मेला लगता है  |

पाबूजी के मुगलकालीन युद्ध

मुगलकालीन पाटन मिर्जा खां का नाम बड़े पैमाने पर गौ हत्या में लिप्त  रहा ,उनके विरुद्ध पाबूजी ने युद्ध किया और गौ हत्या रुकवाई |    

FAQS :

1.राजस्थान के लोक देवता कौन कौन से हैं :

उतर-पाबूजी ,हड़बूजी, रामदेवजी, मांगलियामेंहाजी गोगाजी

2.राजस्थान के लोक देवता पाबूजी का जन्म कब हुआ था ?

उतर-1239  ई .सन विक्रम संवत (1296 )  में कोलू / कोलू मंड (जोधपुर )में राठौड़ राजवंश में हुआ |

3.पाबूजी की माता का नाम क्या था ?

उतर-कमला दे

4.पाबूजी के पिता का नाम क्या था ?

उतर-धांधलजी राठौड़

5.पाबूजी की पत्नी का नाम क्या था ?

उतर-फुलम दे (अमरकोट के सोढा राजा सूरजमल की पुत्री )

6.राजस्थान में सबसे लोकप्रिय फड़ किसकी है?

उतर-पाबूजी की फड़

7.पाबूजी का मंदिर कौन से जिले में है?

उतर- कोलू मंड फलौदी जिले में

8.पाबू जी के गुरु कौन थे?

उतर-समरथ भारती जी

9.पाबूजी का मेला कब लगता है ?

उतर-चैत्र अमावस्या को

10.पाबूजी का प्रतीक चिन्ह  क्या है ?

उतर-भाला लिए अश्वरोही 

11.मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय किसे कहा जाता है ?

उतर-लोक देवता पाबूजी 

12.पाबूजी के सहयोगी कौन था ?

उतर-चांदा डैमा व  हरमल  

13.पाबूजी की स्मृति में किस वाधयंत्र का प्रयोग किया जाता है  ?
उतर- थाली नृत्य 

14.पाबूजी की घोड़ी किस लिए प्रसिद्ध है ?

उतर-बाई ओर झुकी हुई पाग (पगड़ी )

15..वर्तमान में राजस्थान के कितने जिले है ?

उतर-वर्तमान में राजस्थान के 50 जिले है  |

16.वर्तमान में राजस्थान के कितने संभाग है ?

उतर-10 (जयपुर,जोधपुर ,कोटा,उदयपुर,बीकानेर,अजमेर,भरतपुर,बाँसवाड़ा,पाली,सीकर )