जीवाणु की परिभाषा Definition of bacterium
जीवाणु हरित लवक रहित एककोशिकीय या बहुकोशिकीय प्रोकैरियोटिक सूक्ष्मजीव है , जीवाणु वास्तव में पौधे नहीं होते हैं, इनकी कोशिका भित्ति का रासायनिक संगठन पौधे की कोशिका के रासायनिक संगठन से बिल्कुल भिन्न होता है | यद्यपि कुछ जीवाणु प्रकाश संश्लेषण क्रिया करते हैं लेकिन इसमें से विघमान बैक्टीरियोक्लोरोफिल पौधों में उपस्थित क्लोरोफिल से बिल्कुल भिन्न होता है |
जीवाणु के अध्ययन को जीवाणु विज्ञान या बैक्टीरियोलॉजी(Bacteriology) जाता है
जीवाणु की खोजकर्ता व वर्ष | Discoverer and year of Bacterium
जीवाणु की खोज 1683 ई. में पोलैंड के वैज्ञानिक एंटोनी वाँन ल्युवेंनहाक ने की थी, उन्होंने अपने बनाए हुए सूक्ष्मदर्शी से दांत की खुरचन में इन जीवाणुओं को देखा तथा सूक्ष्मजीव नाम दिया इस कारण से एंटोनी वाँन ल्युवेंनहाक को जीवाणु विज्ञान का पिता (फादर आफ बैक्टीरियोलॉजी -Father of Bacteriology ) कहा जाता है |
प्राप्ति स्थान :-जीवाणु अति सूक्ष्म होते हैं एवं प्राय: सभी जगह पाए जाते हैं | ये अनुकूल या प्रतिकूल दोनों ही स्थिति में पाए जाते हैं ,यह मानव द्वारा सांस लेने वाली वायु ,पीने वाले जल तथा भोजन में मौजूद होते हैं |
यह मिट्टी में , दूसरी जीवित वस्तु में और मृत जैविक पदार्थों में उपस्थित रहते हैं | मानव के मुंह में कई प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं |
जीवाणु की संरचना का वर्णन Describe the structure of bacteria :-
जीवाणु का संपूर्ण शरीर एक ही कोशिका का बना होता है , इसके चारों ओर एक कोशिका भित्ति पाई जाती है |
➣ कोशिका के भित्ति के नीचे कोशिका झिल्ली होती है, यह प्रोटीन एवं फ़ॉस्फोलिपिड की बनी होती है, इसके कोशिकाद्रव्य में माइटोकॉन्ड्रिया ,अंतर द्रव्य जालिका तथा विकसित कोशिकाओं का अभाव होता है |
➣ इसमें केंद्रकभिती तथा क्रोमोसोम का अभाव पाया जाता है ,इसमें प्राथमिक प्रकार का केंद्रक पाया जाता है जिसे न्यूक्लिआईड (Nucleoid ) कहते है | जीवाणु में रोम और कशाभिकी पाई जाती है, जो उन्हें गमन ,पोषण एवं प्रजनन में सहायता करती है |
जीवाणु कोशिका की संरचना का नामांकित चित्र Labeled Diagram of the structure of a bacterial cell
सामान्य लक्षण Common symptoms :-
➣ विषाणु को छोड़कर के जीवाणु सबसे सरल जीव है सभी स्थानों पर पाए जाते हैं |
➣ एक कोशिकीय जीव है ,जो एक समूह में पाए जाते हैं |
➣ इसका आकार 2 से 10 माइक्रो का होता है |
➣इनकी कोशिकाभिती मोटी तथा काइटिन की बनी होती है |
➣ इनमे सत्य केंद्र का अभाव पाया जाता है |
➣ यह परजीवी , मृतोपजीवी व सहजीवी होते हैं |
➣इनकी कोशिका में लवक , माइटोकॉन्ड्रिया , गोल्जी उपकरण , अंतर द्रव्य जालिका नहीं होते है |
इनमें मुख्य रूप से जनन विखंडन द्वारा होता है
बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी हिंदी |Bacteria Se Hone vale Rog in Hindi 2022
1.टिटनेस :- इस रोग में शरीर का तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है
➣यह टिटनेस कलोस्ट्रीडियम टेटेनी नामक जीवाणु के द्वारा होता है |
➣इस रोग के निम्न लक्षण है :-
1. तेज बुखार 2.शरीर में ऐठन 3.जबड़ा बंद होना आदि है |
2.हैजा :- इस रोग में शरीर की आंत प्रभावित होती है |
➣ यह रोग विब्रियो कोलेरी के द्वारा होता है |
➣ इस रोग के निम्न लक्षण है :-
1.लगातार दस्त और उल्टी होना |
3. टाइफाइड :- इस रोग में शरीर की का प्रभावित अंग आंत है |
➣ टाइफाइड रोग -साल्मोनेला टायफी नामक जीवाणु द्वारा होता है |
➣ इस रोग के लक्षण :-
1.तेज बुखार ,सिर दर्द आदि है
4.क्षय / टीबी रोग :- इस रोग में शरीर का प्रभावित अंग में फेफड़ा है |
➣क्षय /टीबी रोग :- माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु द्वारा होता है |
➣इस रोग के निम्न लक्षण है :-
1. बार बार खांसी के साथ कफ में रक्त निकलना |
5.डिप्थीरिया :- इस रोग में शरीर का प्रभावित अंग श्वास नली है |
➣यह रोग कोरीनी बैक्टीरियम डीफ्थीरी नामक जीवाणु द्वारा होता है |
➣इस रोग में निम्न लक्षण है :-
1. सांस लेने में कठिनाई एवं दम घुटना है |
6. प्लेग :- इस रोग में शरीर का प्रभावित अंग फेफड़ा व कांरव दोनों पैरों के बीच
➣यह रोग पाश्चुरेला पेस्टिस नामक जीवाणु द्वारा होता है |
➣इनके निम्न लक्षण है :-
➣ बहुत तेज बुखार ,शरीर पर गिल्टियाँ |
7.काली खांसी :- इस रोग में शरीर का प्रभावित अंग स्वसन तंत्र है |
➣यह रोग हिमोफिलस परट्यूसिस नमक जीवाणु द्वारा होता है |
इस रोग के लक्षण है :-
➣लगातार खांसी आना |
8.निमोनिया :- इस रोग में शरीर का प्रभावित अंग फेफड़ा है |
➣ यह रोग डिप्लोकोकस न्यूमोनी नामक जीवाणु द्वारा होता है |
➣इन रोग के निम्न लक्षण है :-
1.तेज बुखार ,फेफड़ो में सूजन |
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