रक्त समूह (ब्लड ग्रुप) :-जैसा कि आप जानते कि मनुष्य का रक्त एक जैसे देखते हुए भी कुछ अर्थों में भिन्न होता है | रक्त का कई तरीके से समुहीकरण किया गया है | इनमें से दो मुख्य समूह ABO तथा Rh (आरएच ) का उपयोग पूरे विश्व में होता है |
ABO समूह :-ABO समूह मुख्यतः लाल रुधिर कणिकाओं की सतह पर दो प्रतिजन / एंटीजन की उपस्थिति अनुपस्थिति पर निर्भर करती है | ये एंटीजन A व B है, जो प्रतिरक्षा अनुक्रिया को प्रेरित करता है
इसी प्रकार विभिन्न व्यक्तियों में दो प्रकार की प्राकृतिक प्रतिरक्षी/ एंटीबॉडी ( शरीर प्रतिरोधी) मिलते हैं | प्रतिरक्षी वे प्रोटीन पदार्थ है ,जो प्रतिजन के विरुद्ध पैदा होते हैं |
चार रक्त समूहों A,B,AB और O में प्रतिजन तथा प्रतिरक्षी की स्थिति को देखते हैं, जिसको निम्न तालिका में दर्शाया गया है |
दाता एवं ग्राही( आदाता )के रक्त समूह का रक्त चढ़ाने से पहले सावधानीपूर्वक मिलान कर लेना चाहिए जिससे रक्त स्कंदन एवं (RBC)आरबीसी के नष्ट होने जैसी गंभीर परेशानी में हो | निम्न तालिका से स्पष्ट है ,जिसमें दाता सम्योज्यता (डोनर कम्पेबिलिटी ) दर्शाई गयी है |
रक्त
समूह |
लाल
रक्त कणिकाओं पर
प्रतिजन (एंटीजन ) |
प्लाज्मा
में प्रतिरक्षी (एंटीबोडीज) |
रक्तदाता
समूह |
A |
A |
एंटी A |
A,O |
B |
B |
एंटी B |
B,O |
AB |
AB |
अनुपस्थित |
AB ,A,B,O |
O |
अनुपस्थित |
एंटी A,B |
O |
रक्त समूह O (ओ ) एक सर्वदाता है ,जो सभी रक्त समूह को रक्त प्रदान कर सकता है |
रक्त समूह AB)एबी सर्वग्राही है ,जो सभी प्रकार के रक्त समूहों से रक्त ले सकता है |
Rh समूह (आरएच फैक्टर ) :-यह एक एंटीजन/ प्रतिजन Rh है ,जो लगभग 80% मनुष्य में पाया जाता है |
यह Rh एंटीजेन रिसेस बन्दर में पाए जाने वाले एंटीजेन के समान है ,ऐसे व्यक्ति को जिनमें एंटीजेन होता है ,को Rh सहित (Rh +ve ) (आरएच पॉजिटिव )होता था ,जिसमें यह नहीं होता है उसको Rh हीन (Rhनेगेटिव )कहते हैं |
यदि Rh रहित(Rh-ve)व्यक्ति के रक्त को आरएच पॉजिटिव (Rh+ve ) के साथ मिलाया जाता है तो व्यक्ति में Rh प्रतिजन (Rh-ve ) के विरुद्ध विशेष एंटीबॉडी( प्रतिरक्षी )बन जाती है ,अत : रक्त आदान-प्रदान से पहले Rh समुह को मिलना आवश्यक है |
एक विशेष प्रकार की Rh अयोग्यता को एक गर्भवती (Rh-ve) माता एवं उसके गर्भ में पल रहे भ्रूर्ण के (Rh+ve) के बीच पाई जाती है |
अपरा द्वारा पृथक रहने के कारण भ्रूर्ण का Rh एंटीजेन सगर्भता में माता के आरएच नेगेटिव (Rh -ve ) को प्रभावित नहीं कर पाता लेकिन फिर भी पहले प्रसव के दौरान समय माता के आरएच नेगेटिव रक्त से शिशु के आरएच पॉजिटिव रक्त के संपर्क में आने की संभावना रहती है ऐसी दशा में माता के रक्त में आरएच प्रतिरक्षी बनना प्रारंभ हो जाती है ये प्रतिरोध में एंटीबॉडी बनाना शुरु कर देती है |
यदि परवर्ती गर्भावस्था होती है ,तो रक्त से (आरएच नेगेटिव ) भ्रूण के रक्त (आरएच पॉजिटिव में ) Rh प्रतिरक्षी का रिसाव हो सकता है और इससे भ्रूण की लाल रुधिर कणिका नष्ट हो सकती है यह भ्रूण के लिए जानलेवा हो सकती है या उसे रक्ताल्पा( खून की कमी ) और पीलिया हो सकता है, ऐसी दशा को इरिथ्रोव्लास्टोलिस फिटेलिस (गर्भ रक्ताणु कोरकता ) कहते हैं इस स्थिति से बचने के लिए माता को प्रसव के तुरंत बाद आरएच प्रतिरक्षी का उपयोग करना चाहिए |
रक्त स्कंदन ( रक्त का जमाव ) :-
किसी चोट या घात की प्रतिक्रिया स्वरूप रक्त स्कंदन होता है | यह क्रिया शरीर के बाहर अत्यधिक रक्त के बहने से रोकती है आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है ?
आपने किसी चोट घात या घाव पर कुछ समय बाद गहरे लाल भूरे रंग का झाग सा अवश्य देखा होगा यह रक्त का स्कंदन या थक्का है , जो मुख्यतः फाइब्रिन धागे के जाल से बनता है ,इस जाल में मरे या क्षतिग्रस्त संगठित पदार्थ भी उलझे हुए होते हैं |
फाइब्रिन रक्त प्लाज्मा में उपस्थित एंजाइम थ्रोम्बिन की सहायता से फाइब्रिनोजेन से बनती है |
थ्रोम्बिन की रचना प्लाज्मा में उपस्थित निष्क्रिय प्रोथ्रोबिन से होती है |
इसके लिए थ्रोम्बोकाइनेज एंजाइम समुह की आवश्यकता होती है ,यह एंजाइम समुह रक्त प्लाज्मा में उपस्थित अनेक निष्क्रिय कारकों की सहायता से एक के बाद एक अनेक एंजाइम प्रतिक्रिया की श्रृंखला (सोपानी क्रम )से बनता है |
एक चोट या घात रक्त में उपस्थित प्लेटलेटस को विशेष कारकों को मुक्त करने के लिए प्रेरित करती है ,जिनसे स्कंदन की क्रिया शुरू होती है |
क्षतिग्रस्त उतकों द्वारा भी चोट की जगह पर कुछ कारक मुक्त होते हैं, जो स्कंदन को प्रारंभ कर सकते हैं |इस प्रतिक्रिया में कैल्शियम की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होते हैं |
रक्त समूह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न :-
रक्त कितने प्रकार के होते है ?
चार (A,B,AB,O )
किस रक्त समुह में एन्टीजन नहीं होता है ?
रक्त समूह -O (ओ)
किस रक्त समुह में एंटीबोडीज नहीं होती है ?
रक्त समुह -AB
सर्वदाता रक्त समुह कोनसा होता है ?
O (ओ)
सर्वग्राही (आदाता)रक्त समुह कौनसा होता है ?
AB
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रुधिर व रुधिर कणिकाओं के प्रकार
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